क्या मेरी 'नयी दोस्त' से मिलोगे?
एक ऐसी दोस्त; जो मेरे, चोबिसों घंटे साथ रहती है...
हर पल, हर जगह,
मेरे साथ चलती है..
जहाँ कहीं भी मैं 'चलता' हूँ,
जहाँ कहीं भी मैं 'रुकता' हूँ-
एक छोटे से 'लम्हे' के लिए भी-
मुझसे 'जुदा' नहीं होती..
'जीवन संगिनी' की तरह मेरे साथ,
कदम से कदम मिला कर चलती है,
उसका नाम है--
"घुटन"
यह घुटन है रूप; 'अकेलेपन' का....
यह घुटन है रूप; 'तन्हाई' का....
यह घुटन है रूप; उस 'याद' का-
जो तुम मुझे दे कर चले गए हो....
'सबा' ; तुम तो चले गए हो 'अकेले',
मगर मुझे छोड़ गए हो,
इस नए साथी,
इस नए 'हमसफ़र' के साथ.....
'घुटन', 'घुटन', 'घुटन'........
और सिर्फ 'घुटन'-----
एक अजीब सा आलम है--
इस 'घुटन' का....
तलाश करता हूँ -
इस 'आलम' में खुद को...
खोजता हूँ अपने वजूद को...
ढूंढ़ता हूँ उन पलों को-
जो 'पल' कभी हमने साथ ;
इक साथ गुजारे थे...
वो पल जो गवाह हैं,
हमारे 'प्यार' के...
मगर इस आलम में,
मुझे मिलता है --
सिर्फ... 'अकेलापन'....
उन पलों की बस याद ही,
मेरे पास रह गयी है--
और साथ रह गयी है---
मेरी यह -- " नयी दोस्त...................
...................."
baat dil se kahi hai...par kahi kahi rachna toot-ti si lagi.....
ReplyDeleteaarambh bahut sarahniya tha.....fir aage thori si ladkhada gayi.....
...meri niji ray !!!
कुछ ना कहना बेहतर है........
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