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Friday, February 08, 2013

वीरान-ए-बहार

Valentine Week Special :)










झुकी हुई पलकों से कुछ इशारे हो गए,
डूबते हुए नखुदा को सहारे हो गये...

उम्र भर चाहता रहा खुद को,
इक नज़र में गैर भी प्यारे हो गए...

नशा छाया तुम्हारा हम पे कुछ ऐसा,
बिन सोचे समझे हम तुम्हारे हो गए...

मुझे जब से फलक पर बिठा दिया है तुमने,
तबसे मेरे हमराह चाँद सितारे हो गए...

इक अदद से दिल मेरा सूना सा रहता था,
वीरानों में भी बहारों के नजारे हो गए....!!


Manav Mehta ‘मन’