“तरो-ताज़ा लग रहा है आज ये मन मेरा,
जाड़ों की खिली धूप में नहा कर निकला हो जैसे...
जर्द पत्ते भी अब हरे हो गए हैं इसके,
टहनियों पर इसके खुशियों के फूल उग आये हैं...
बदला बदला सा लग रहा है आज हर मौसम,
इसकी दीवारों से दर्द के सीलन की महक हट गई
है,
परदे भी कुछ उजले से नज़र आ रहें हैं मुझको...
और जो गम के काले साये बिखरे रहते थे हर तरफ,
जाने कहाँ इक ही लहजा में घूम गए हैं...
और जैसे किसी हांड़ी में रख दिए हों,
कुछ चावल पकने की खातिर-
ठीक वैसी ही महक इसके भीतर से आ रही है
मुझको....
इसके भीतर कोई तो नई बात हुई है आज,
इसके भीतर इक ‘नया रिश्ता’ पक रहा है
शायद......”
मानव मेहता ‘मन’
नए रिश्ते की महक से महका महका सा है मन ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteshukriya sangita ji ..
ReplyDeleteनए रिश्ते की खुश्बू मुब़ारक हो आपको....सहेज कर रखिएगा्
ReplyDeleteShukriya Rashmi ji..
Deleteumeed to hai... is rishte ko sahej kar rakhne ki..
बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . आभार सही आज़ादी की इनमे थोड़ी अक्ल भर दे . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
ReplyDeleteshukriya shalini ji.. :)
Deleteनए रिश्ते की शुरुआत में अक्सर ऐसा ही लगता है... सुंदर भाव संयोजन...
ReplyDeleteji durrust farmaya Pallavi ji... :)
Deleteऔर जैसे किसी हांड़ी में रख दिए हों,
ReplyDeleteकुछ चावल पकाने की खातिर-
ठीक वैसी ही महक इसके भीतर से आ रही है मुझको....
इसके भीतर कोई तो नई बात हुई है आज,
इसके भीतर इक ‘नया रिश्ता’ पक रहा है शायद......”
Rishte ki ye mahak hamesha bani rahe....
hmmm... jarur..
Deleteसटीक प्रस्तुति ||
ReplyDeleteआभार ||
shukriya janab..
Deleteबहुत खूब क्या बात है आनंद आगया
ReplyDeleteमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
dhanywaad... :)
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ReplyDeleteदिनांक 24 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
shukriya Mathur Shahab :)
Deleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteshukriya....
Deletenamaskaar !
ReplyDeletesunder abivyakti sunder rachna !
sadhuwad !
Bahut Shukriya Sunil ji..... :)
Deleteआज की ब्लॉग बुलेटिन ऐसे ऐसे कैसे कैसे !!! मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeletedhanyvaad
Deletemeri is rachna ko pasanad karne ke liye sabhi mitron ka dil se shukriya...
ReplyDeleteनए रिश्ते की महक बरकरार रहे.
ReplyDeleteShukriya Alpana ji.. :)
Deleteअति सुन्दर
ReplyDeleteshukriya Nihaar sahab...!
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteShukriya Onkar ji..
Deleteनए रिश्तों के महक से महकती सुंदर कविता.
ReplyDeleteShukriya Rachna Ji...!!
Deleteबहुत खूब ... सच है की नए रिश्ते जब बनने शुरू होते हैं तो उनकी महक दूर तक सहलाती है ...
ReplyDeleteकोमल रचना ....
bilkul sahi kha...
Deleteshukriya digambar ji..
मन महक उठा है तब तो रिश्ता भी खुशबुओं से लबरेज़ ही रहेगा ।
ReplyDeleteji.. umeed to aisi hi hai Amit ji...
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ReplyDeleteधन्यवाद
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Ji jarur... Shukriya...
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