Friday, February 22, 2013

नया रिश्ता















तरो-ताज़ा लग रहा है आज ये मन मेरा,
जाड़ों की खिली धूप में नहा कर निकला हो जैसे...

जर्द पत्ते भी अब हरे हो गए हैं इसके,
टहनियों पर इसके खुशियों के फूल उग आये हैं...

बदला बदला सा लग रहा है आज हर मौसम,
इसकी दीवारों से दर्द के सीलन की महक हट गई है,
परदे भी कुछ उजले से नज़र आ रहें हैं मुझको...
और जो गम के काले साये बिखरे रहते थे हर तरफ,
जाने कहाँ इक ही लहजा में घूम गए हैं...

और जैसे किसी हांड़ी में रख दिए हों,
कुछ चावल पकने की खातिर-
ठीक वैसी ही महक इसके भीतर से आ रही है मुझको....

इसके भीतर कोई तो नई बात हुई है आज,
इसके भीतर इक ‘नया रिश्ता’ पक रहा है शायद......


मानव मेहता ‘मन’


37 comments:

  1. नए रिश्ते की महक से महका महका सा है मन ... सुंदर प्रस्तुति

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  2. नए रि‍श्‍ते की खुश्‍बू मुब़ारक हो आपको....सहेज कर रखि‍एगा्

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    1. Shukriya Rashmi ji..
      umeed to hai... is rishte ko sahej kar rakhne ki..

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  3. नए रिश्ते की शुरुआत में अक्सर ऐसा ही लगता है... सुंदर भाव संयोजन...

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  4. और जैसे किसी हांड़ी में रख दिए हों,
    कुछ चावल पकाने की खातिर-
    ठीक वैसी ही महक इसके भीतर से आ रही है मुझको....

    इसके भीतर कोई तो नई बात हुई है आज,
    इसके भीतर इक ‘नया रिश्ता’ पक रहा है शायद......”

    Rishte ki ye mahak hamesha bani rahe....


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  5. सटीक प्रस्तुति ||
    आभार ||

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  6. बहुत खूब क्या बात है आनंद आगया
    मेरी नई रचना
    खुशबू
    प्रेमविरह

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  7. दिनांक 24 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  8. namaskaar !
    sunder abivyakti sunder rachna !
    sadhuwad !

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  9. आज की ब्लॉग बुलेटिन ऐसे ऐसे कैसे कैसे !!! मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  10. meri is rachna ko pasanad karne ke liye sabhi mitron ka dil se shukriya...

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  11. नए रिश्ते की महक बरकरार रहे.

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  12. सुन्दर रचना

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  13. नए रिश्तों के महक से महकती सुंदर कविता.

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  14. बहुत खूब ... सच है की नए रिश्ते जब बनने शुरू होते हैं तो उनकी महक दूर तक सहलाती है ...
    कोमल रचना ....

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  15. मन महक उठा है तब तो रिश्ता भी खुशबुओं से लबरेज़ ही रहेगा ।

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    धन्यवाद
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मानव मेहता