जी चाहता है रंग दूँ सपनों को अपने,
हाथों में तेरे हिना
भी रंग दूँ...
भर दूँ तेरी दुनिया खुशियों से हमदम,
आँचल में तेरे सितारे भी भर
दूँ...
ना हो तेरी महफ़िल में पतझड़ का मौसम,
तेरे चमन को हमदम बहारों से भर दूँ...
तू जो चले मेरे जानिब दो कदम,
इस जादा-ऐ-तलब को नज़ारों से भर दूँ... !!
मानव मेहता 'मन'
अनुपम भाव संयोजन ....शुभकामनायें कभी समय मिले आपको तो आयेगा मेरी भी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeletehanji jarur pallavi ji ...shukriya aapka
ReplyDeleteअच्छी कविता के धन्यवाद
ReplyDeleteShiddat se ki gai chahat... Bahut sunder
ReplyDeleteachha ji...
DeleteBahut Umda.....
ReplyDeleteshukriya Monika ji... :)
Deleteअच्छा लिखते हो ..
ReplyDeleteबधाई !!
:)
Deleteवाह उम्दा
ReplyDeleteShukriya.... :)
Deleteकितना सही कहा है आपने
ReplyDelete:))
Deleteबसंत पंचमी की शुभकामनाएँ !!!
ReplyDeleteshukriya sanjay ji
Deletenice:-)
ReplyDeletethnks Reena ji..:)
DeleteAapko bhi janab... :)
ReplyDelete...बहुत सुन्दर शब्दों में चित्रित प्रेम की अभिव्यक्ति!..आभार!
ReplyDeleteshukriya ..Arunaji
Deleteअच्छी ग़ज़ल.....
ReplyDeleteअनु
shukriyaa..
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