Sunday, September 27, 2009

गुफ्तगू......


"गैरों को बात करने का 'शौक' नहीं हमसे,
'अपने भी 'गुफ्तगू' करते नहीं है अब,
'क्या करे इस 'दिल' का 'चैन' कहीं पता नहीं,
'ज़िन्दगी भर यूँ ही 'तन्हा' रहेंगे हम......."

1 comment:

  1. बहुत अच्छी पंक्तियाँ. ...

    ReplyDelete

आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता