"कौन है तेरा वहां, किस के पास जायेगा अब तू,
'कौन पहचानेगा तुझे, बस्ती में जो जाएगा अब तू....'
'वो तो बनते है तेरे सामने, तजाहुल-पेशगी*,
'बाद ए मौत ही उसका साथ, पायेगा अब तू....
'सुराब* न निकले, उनकी भी ये दोस्ती कहीं,
'दुआ कर ले खुदा से, वर्ना मर जाएगा अब तू.....'
'हर वक्त तो रहती है आँखों में, यार की गर्दे राह*,
'किस तरह प्यार उसको, दिखा पायेगा अब तू....'
'कब तक उठाये फिरेगा, तू ये बारे-मिन्नत*,
'कर दे वापिस इसको वरना थक जाएगा अब तू....'
'वो शख्स तो है जालिम और जां-गुसिल कब से,
'क्या उसका ये बेदाद*, सह पाएगा अब तू.....'
'न कर उम्मीद किसी से की कोई आएगा पास तेरे,
'इक खलिश* का ही हमराह बन कर, रह जाएगा अब तू...'"
*सुराब- छलावा,
*गर्दे राह- रास्ते की धूल,
*बारे मिन्नत- एहसानों का बोझ,
*जां- गुसिल- प्राण घातक,
*बेदाद- अत्याचार,
*खलिश- चुभन,
Ab to hamre pas shabad nahi taarif ke lie....
ReplyDeleteati sunder
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ReplyDelete"कौन है तेरा वहां, किस के पास जायेगा अब तू,
ReplyDelete'कौन पहचानेगा तुझे, बस्ती में जो जाएगा अब तू....'
bahut khoob......
'हर वक्त तो रहती है आँखों में, यार की गर्दे राह*,
'किस तरह प्यार उसको, दिखा पायेगा अब तू....'
umda sher...
'कब तक उठाये फिरेगा, तू ये बारे-मिन्नत*,'कर दे वापिस इसको वरना थक जाएगा अब तू....'
behtareen......
'वो शख्स तो है जालिम और जां-गुसिल कब से,'क्या उसका ये बेदाद*, सह पाएगा अब तू.....'
kya kahen is baare mein....
'न कर उम्मीद किसी से की कोई आएगा पास तेरे,'इक खलिश* का ही हमराह बन कर, रह जाएगा अब तू...'"
umda ant..