I have share best Romantic Hindi Poetry. Best Romantic Hindi Poetry is the one of the Best Destination of Hindi Shayari
Sunday, May 13, 2012
Tuesday, May 08, 2012
दर्द
वक्त को हथेली पर रख कर
ऊँगलियों पर लम्हें गिने हैं...
दर्द देता है हौले से दस्तक-
इन लम्हों के कई पोरों में बसा हुआ है वो....!!
ज़ब्त करती हैं जब पलकें,
किसी टूटे हुए ख्वाब को-
आँखों में दबोचती हैं
तब पिघलता नहीं है मोम-
बस टुकड़े चुभते हैं उस काँच के....!!
इन आँखों से अब पानी नहीं रिसता,
दर्द अब पत्थर हो चला है.....!!
Sunday, January 15, 2012
तेरी महक.......
कुछ लफ्ज़ अपनी मोहब्बत के-
बिखेर दो मेरे आँगन....
इन हवाओं में घोल दो-
अपनी चाहत की नमी...!!
बरस जाओ बन के बादल
मेरे जिस्म-ओ-जां पर...
कि मेरी रूह का इक टुकड़ा भी प्यासा ना रहें...!!
उतर आओ सितारों के झीने से इक रोज,
और बाँट लो खुद को मेरी रगों में...
आहिस्ता आहिस्ता ;
पिघल जाओ बदन में मेरे-
कि ज़र्रे ज़र्रे से इसके सिर्फ तेरी महक आए....!!
मानव 'मन'
Saturday, November 26, 2011
एहसास ये तेरा मेरा.....
मुझसे रूठ कर जो जाओगे तो कहाँ जाओगे,
मेरे वजूद, मेरे एहसास को कैसे छुपाओगे....
मेरी यादें बेचैन कर देंगी तुमको,
महफ़िल में जो कभी खुद को तनहा पाओगे..
रुक जाएँगी सांसें, थम जाएगी धड़कन,
अचानक से मेरा नाम जो कभी गुनगुनाओगे...
छत पर टहलते हुए, तारों की छाँव में,
अपने अक्स की जगह सिर्फ मुझको ही पाओगे....
मानव 'मन'
Sunday, September 25, 2011
'इक खलिश' का ही हमराह बन कर, रह जाएगा अब तू...
"कौन है तेरा वहां, किस के पास जायेगा अब तू,
'कौन पहचानेगा तुझे, बस्ती में जो जाएगा अब तू....'
'वो तो बनते है तेरे सामने, तजाहुल-पेशगी*,
'बाद ए मौत ही उसका साथ, पायेगा अब तू...
'सुराब* न निकले, उनकी भी ये दोस्ती कहीं,
'दुआ कर ले खुदा से, वर्ना मर जाएगा अब तू.....'
'हर वक्त तो रहती है आँखों में, यार की गर्दे राह*,
'किस तरह प्यार उसको, दिखा पायेगा अब तू....'
'कब तक उठाये फिरेगा, तू ये बारे-मिन्नत*,
'कर दे वापिस इसको वरना थक जाएगा अब तू....'
'वो शख्स तो है जालिम और जां-गुसिल कब से,
'क्या उसका ये बेदाद*, सह पाएगा अब तू.....'
'न कर उम्मीद किसी से की कोई आएगा पास तेरे,
'इक खलिश* का ही हमराह बन कर, रह जाएगा अब तू...'"
*तजाहुल-पेशगी- जान बुझ कर अनजान बनना,
*सुराब- छलावा,
*गर्दे राह- रास्ते की धूल,
*बारे मिन्नत- एहसानों का बोझ,
*जां- गुसिल- प्राण घातक,
*बेदाद- अत्याचार,
*खलिश- चुभन,
Friday, September 16, 2011
चाक है सीना जख्मों से..........
"मैंने ज़िन्दगी को नहीं, ज़िन्दगी ने मुझे जिया लगता है,
एक अजीब सा खारापन, आँखों ने 'पिया' लगता है...
एक उम्र से मैं अपनी ज़िन्दगी की तलाश में हूँ,
ये जीवन तो जैसे, किसी से, उधार 'लिया' लगता है...
ख्वाहिशों के फूल मुरझा गए मेरे जेहन के अन्दर ही,
चाक है सीना जख्मों से, फिर भी 'सिया' लगता है...
अंधेरापन ही मेरी ज़िन्दगी को रास आ गया है शायद,
मेरी नज़रों को चुभता हुआ सा, अब हर 'दिया' लगता है..."
मानव मेहता
Friday, August 05, 2011
माँ
ममता की मूरत होती है माँ,
ज़िन्दगी की जरुरत होती है माँ...
खुशियों का खजाना होती है माँ,
देवी सी सूरत होती है माँ...
माँ ही हमको देती है शिक्षा,
गुरु है वो नहीं लेती दीक्षा...
उसके ही आँचल में हमें मिलता है प्यार,
हद से ज्यादा हमें देती है दुलार...
दिखाती है हमें वो मंजिल सही,
वहां जाने का रास्ता भी बताती वही...
ज़िन्दगी की मुश्किलों से जब कभी थक जाते हैं हम,
तो उसकी छाँव में कुछ देर सुस्ताते हैं हम...
हमारे दुःख में वही होती है इक सहारा,
डूबते का वही बनती है इक किनारा...
कठिनाइयों से लड़ना सिखाती हैं माँ,
बाधाओं से भिड़ना सिखाती है माँ...
सोचता हूँ जो ये माँ न होती,
तो दुनिया इतनी हंसी न होती...
माँ के बिना तो अधुरा है सब कुछ,
आशीष से ही उसके पूरा है सब कुछ...
खुशनसीब हैं वो जिन्हें मिला माँ का प्यार,
प्यार भरी ही होती है उस माँ की मार...
सुख - दुःख में साथ देती है वो,
इक दोस्त जैसी बात करती है वो...
जितना भी लिखूं उसके लिए सब कम है,
माँ से ही दुनिया, और माँ से ही हम हैं......!!
मानव मेहता
Sunday, June 12, 2011
ख़ामोशी.............
ख़ामोशी.............
लम्बी ख़ामोशी................
चलो अब इसका मज़ा भी चख लें..............
तुझसे होते हुए कई शब्दों को सुना मैंने ,
कुछ शहद की तरह मीठे थे
चलो अब इसका मज़ा भी चख लें..............
तुझसे होते हुए कई शब्दों को सुना मैंने ,
कुछ शहद की तरह मीठे थे
और
कुछ नीम की तरह कडवे............
कुछ में तेरे प्यार की खुशबू महकती थी
कुछ में तेरे प्यार की खुशबू महकती थी
तो कुछ यूँ लगता था
जैसे कोई अजनबी ने राह चलते हुए पुकारा हो ..........
कुछ को समझ पाया
कुछ को समझ पाया
और कुछ उड़ते गए यूँ ही हवा में.........
शायद यही गलती हुई मुझसे...........
शायद उनको भी समझना जरुरी था...........
पर...............
अब जो हालात बन चुके हैं
शायद यही गलती हुई मुझसे...........
शायद उनको भी समझना जरुरी था...........
पर...............
अब जो हालात बन चुके हैं
दरम्यान अपने
शायद उन्ही शब्दों का नतीजा हैं..............
अब केवल ख़ामोशी सुनती है दोनों तरफ.........
अब शब्द गुफ्तगू करते नहीं आपस में.............
अब केवल ख़ामोशी सुनती है दोनों तरफ.........
अब शब्द गुफ्तगू करते नहीं आपस में.............
:-Manav Mehta
Wednesday, June 01, 2011
Saturday, May 21, 2011
Tuesday, May 10, 2011
चन्दा मेरे सुन ज़रा
निहारता है
चन्दा
जब तेरी छत पर
सिहरन सी
दौड़ जाती है
तन बदन में
चान्दनी की ठंडक
जब
छू सी जाती है
तेरी आँखों को
मेरे लबों की
खुशबु
तेरी आँखों को
महका सी जाती है....
ये हवा की
झीनी चादर
जब उड़ा जाती है
तेरे बालों को
मेरे हाथों की
नर्मी
तेरे सर को
सहला सी जाती है........
बादल ढक लेता है
जब
चन्दा को
अपने आगोश में
मेरी साँसों की
गर्मी
तेरे लबों को
गरमाहट दे जाती है....
ओ चन्दा मेरे सुन ज़रा
तेरी हर धड़कन में
अब
मेरी ही आहट आती है......
तेरी हर धड़कन में
अब
मेरी ही आहट आती है...........!!
:-मानव मेहता
Monday, April 25, 2011
किस ओर की अब राह लूँ मैं.........
किस ओर की अब राह लूँ मैं,
किस ओर मंजिल की डगर है,
हूँ खड़ा मैं सोचता पथ पर,किस ओर मंजिल की डगर है,
किस ओर जाऊं हर ओर तिमिर है...
इन्हीं अंधेरों में डूब गयी हर चाह मेरी,किस ओर ले जाती है अब ये राह मेरी....
स्वप्न मेरे खो गये सब,
खो गयी सारी दिशायें,
मूक बन कर रह गयी अब,
मेरी सारी अभिलाषाएं....
गूंजती है उर में अब तो आह मेरी,
किस ओर ले जाती है अब ये राह मेरी........
फिर भी न जाने क्यूँ ह्रदय की,
डोर अब तक चल रही,
आँधियों के बीच में भी
किस तरह इक शम्मा जल रही,
जल चुकी है धूप में अब तो सांस मेरी,
किस ओर ले जाती है अब ये राह मेरी....
थक गया हूँ पर न जाने-
और कितना अभी चलना होगा,
इन पथरीले रास्तों पर,
और किता संभलना होगा,
गिरते-पड़ते निकल चली है जान मेरी,
किस ओर ले जाती है अब ये राह मेरी.......
Friday, April 15, 2011
आखिरी कलाम- बेबस ज़िन्दगी
ज़िन्दगी बेबस है इन ग़मगीन हालातों में,
उम्मीद का कोई सूरज नया उगा ले....
मेरी दुआएं कबूल हो ये मुमकीन नहीं लगता,
तू अपने लिए आशियाना कोई और नया बना ले...
ये चाहत के सपने, ये सपनों की बातें,
सपनों से बढ़ कर नहीं कोई अपना,
माना कि मुमकिन नहीं अपना मिलना,
मगर कोई ऐसा इक सपना तो सजा ले....
चला जाऊँगा दूर बहुत दूर इस जहाँ से,
तेरा दिल दुखाने न आऊंगा फिर से,
मगर जाते जाते ये चाहत है दिल की,
कि रूठे हुए को इक बार तो मना ले.....
है अलविदा दोस्तों, मुझे माफ़ करना,
अगर किसी को सताया हो मैंने,
पेश-ए-खिदमत है तुम्हारे आखिरी कलाम मेरा,
है दुआ अब खुदा से कि वो मुझको उठा ले...
है दुआ अब खुदा से कि वो मुझको उठा ले...
है दुआ अब खुदा से कि वो मुझको उठा ले...
:-manav mehta
Saaransh-ek-ant.blogspot.com
Saturday, March 26, 2011
प्यार का आलम
चाँद के चेहरे से बदली जो हट गयी,
रात सारी फिर आँखों में कट गयी..
छूना चाहा जब तेरी उड़ती हुई खुशबू को,
सांसें मेरी तेरी साँसों से लिपट गयी..
तुमने छुआ तो रक्स कर उठा बदन मेरा,
मायूसी सारी उम्र की इक पल में छट गयी..
ए जाने वफ़ा, मेरी कायनात सिमट गयी...
मानव मेहता
Wednesday, February 23, 2011
Saturday, February 12, 2011
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