निहारता है
चन्दा
जब तेरी छत पर
सिहरन सी
दौड़ जाती है
तन बदन में
चान्दनी की ठंडक
जब
छू सी जाती है
तेरी आँखों को
मेरे लबों की
खुशबु
तेरी आँखों को
महका सी जाती है....
ये हवा की
झीनी चादर
जब उड़ा जाती है
तेरे बालों को
मेरे हाथों की
नर्मी
तेरे सर को
सहला सी जाती है........
बादल ढक लेता है
जब
चन्दा को
अपने आगोश में
मेरी साँसों की
गर्मी
तेरे लबों को
गरमाहट दे जाती है....
ओ चन्दा मेरे सुन ज़रा
तेरी हर धड़कन में
अब
मेरी ही आहट आती है......
तेरी हर धड़कन में
अब
मेरी ही आहट आती है...........!!
:-मानव मेहता
बढि़या भाव...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteshukriya aapki hosla afjaee ka...
ReplyDeleteवाह प्यार की गहराई ऐसी कि मीत बने चन्दा तू बादल आवारा...वाह बहुत खूब...
ReplyDeleteये हवा कीझीनी चादरजब उड़ा जाती हैतेरे बालों कोमेरे हाथों कीनर्मीतेरे सर कोसहला सी जाती है........
ReplyDelete....bahut hi khubsurat kabita...
बादल ढक लेता हैजबचन्दा को अपने आगोश मेंमेरी साँसों कीगर्मीतेरे लबों को गरमाहट दे जाती है...
तेरी हर धड़कन में
ReplyDeleteअब मेरी ही आहट आती है...........!!
khoobsurat se bhaw
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteवाह …………बहुत सुन्दर भाव्।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (12-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
सुन्दर ..कोमल से भावों से भरी अच्छी रचना
ReplyDeleteशायद इसे ही प्रेम कहते हैं .. दिल की गहराइयों से उपजा प्रेम ... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeletebahut achchi lagi.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.....कमाल की पंक्तियाँ लिखी हैं ....
ReplyDeleteमानव मेहता जी
ReplyDeleteसादर अभिवादन !
ख़ूबसूरत ब्लॉग !
दिलकश तस्वीरें !
प्यारी रचनाएं !
बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आ'कर ।
प्रस्तुत रचना भी बहुत अच्छी लगी -
ओ चन्दा मेरे !
सुन ज़रा
तेरी हर धड़कन में
अब मेरी ही आहट आती है......
क्या बात है ! वाह वाऽऽह !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
"कहने को बहुत कुछ है
ReplyDeleteमगर कैसे कहें हम...?
बेहतर तो होगा यही
कि खामोश रहें हम....!!"
खूबसूरत से एहसास.....