भाई मानव जी मेहता, आपका ब्लोग नियमित देख्ता रहता हूं ! समयभाव के कारण टिप्पणियां नहीं छोड़ पाता ! कृपया इसे अन्यथा न लें ! आपकी यह पंक्तियां भी बहुत अच्छी लगीं-बधाई ! जय हो !
मानव... अक्सर देखा जाता है की छोटी-छोटी बातें अपना जो impact छोड़ती हैं.... वो बड़ी-बड़ी लम्बी-लम्बी बातें नहीं छोड़ पातीं..!! एक साथ मैं सारी रचनाएं पढ़ गयी... और काफी देर तक उनके भावों से उबार नहीं पायी.... क्या कहूँ...????? बस,खूबसूरत........!!
शुक्रिया पूनम जी, आप मेरे ब्लॉग पर आये....और इन रचनाओं को अपना वक़्त दिया और सराहा......... आपसे से request है की आप मेरे दुसरे ब्लॉग पर भी वक़्त निकल कर आइयेगा.. www.saaransh-ek-ant.blogspot.com
maanav bhai namskaar ! chhoti chhoti baat aksar kaam ki hoti hai bas dekhne ki wo driti honi chhaihye . aap ki in panktiyon me bahut kuch kah diyaa . achchi abhvyakti , sadhuwad
क्या बात, बहुत ही जबर्दश्त .. दिल को छु गयी है यार. बस कुछ कहने के लिये नहीं है ..
बधाई !! आभार विजय ----------- कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html
ओह! क्या बात कही है और बेहतरीन बिम्ब प्रयोग् दिल को छू गयी।
ReplyDeleteबहुत ही शानदार
ReplyDeleteबहुत खूब मानव ...वक्त के साथ अकसर रिश्ते बदल जाया करते हैं...
ReplyDeletebahut khub likha hai
ReplyDeletebas yaade hai jo sath chalti hai har waqt...
maut se pahle tak yaaden saath rahti hain
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeletebehad khubsurat shayri likhi hai aapne....jo ki humare ziban ka such bhi hai........
ReplyDeleteभाई मानव जी मेहता,
ReplyDeleteआपका ब्लोग नियमित देख्ता रहता हूं !
समयभाव के कारण टिप्पणियां नहीं छोड़ पाता !
कृपया इसे अन्यथा न लें !
आपकी यह पंक्तियां भी बहुत अच्छी लगीं-बधाई !
जय हो !
बिलकुल सही बात है\
ReplyDeleteशुक्रिया,
ReplyDeleteआप सभी मित्रों का जो निरंतर मेरा होंसला बढ़ते रहते हैं............. !!!!!
हमेशा यूँ ही अपना प्यार और आशीर्वाद बनाये रखिये.............
कम शब्दों में सच कहा ....आजकल यूँ ही बदलते हैं रिश्ते ....
ReplyDeleteमानव...
ReplyDeleteअक्सर देखा जाता है की छोटी-छोटी बातें अपना जो impact छोड़ती हैं....
वो बड़ी-बड़ी लम्बी-लम्बी बातें नहीं छोड़ पातीं..!!
एक साथ मैं सारी रचनाएं पढ़ गयी...
और काफी देर तक उनके भावों से उबार नहीं पायी....
क्या कहूँ...?????
बस,खूबसूरत........!!
शुक्रिया पूनम जी, आप मेरे ब्लॉग पर आये....और इन रचनाओं को अपना वक़्त दिया और सराहा.........
ReplyDeleteआपसे से request है की आप मेरे दुसरे ब्लॉग पर भी वक़्त निकल कर आइयेगा..
www.saaransh-ek-ant.blogspot.com
maanav bhai
ReplyDeletenamskaar !
chhoti chhoti baat aksar kaam ki hoti hai bas dekhne ki wo driti honi chhaihye . aap ki in panktiyon me bahut kuch kah diyaa . achchi abhvyakti , sadhuwad
manavji
ReplyDeletenaman,
bahut hi khoobsoorat ahsas......aapka abhar.
अच्छी रचना के लिए आपको बधाई । आप हमेशा सृजनरत रहें और मेरे ब्लॉग पर आपकी सादर उपस्थिति बनी रहे । धन्यवाद ।
ReplyDeleteमानव भाई
ReplyDeleteक्या बात, बहुत ही जबर्दश्त .. दिल को छु गयी है यार. बस कुछ कहने के लिये नहीं है ..
बधाई !!
आभार
विजय
-----------
कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html
नमस्कार मित्र आईये बात करें कुछ बदलते रिश्तों की आज कीनई पुरानी हलचल पर इंतजार है आपके आने का
ReplyDeleteसादर
सुनीता शानू
behad sundar panktiyan
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया लिखा है सर!
ReplyDeleteसादर
वाह ..बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...वाह!
ReplyDeleteसादर...
bilkul sahi kaha aapne..bahut khub
ReplyDeletewelcome to my blog :)
जीवन की सच्चाई को सुंदर शब्दों में प्रस्तुत किया है आपने । बधाई !
ReplyDeletebilkul sahi likha hai aapne....aabhar
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