Wednesday, February 23, 2011

रिश्ते की सच्चाई..........

तुम हो अगर  और मैं भी हूँ,
फिर भी लगती  तन्हाई है..
सच मानो ! दोस्त मेरे
हमारे रिश्ते की रुसवाई 
                 चंद लफ्ज़ भर ना पाए जिसे
                  ये कैसी बीच में  खाई है..
                                तुम दूर हो या पास मेरे
                                बतला दो क्या सच्चाई है ................!! 

13 comments:

  1. रिश्तों का उलझाव ऐसा ही होता है दोस्त...
    बहुत सुन्दर

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  2. सुन्दर रचना
    अपना एक शेर याद आ गया-
    जिसकी फुरक़त ने बढ़ाया है मेरी मुश्किल को
    उसकी यादों ने ही आसान बना रखा है.

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  3. ये चंद लफ्ज़ ही तो रिश्तों को बनाते बिगाडते हैं। सुन्दर एहसास। बधाई।

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  4. इस कविता का तो जवाब नहीं !

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  5. रिश्ते अगर सुलझे होंगे तो जिन्दगी के उतर चदाव कसे सीखेंगे ?
    रचना बहुत उम्दा है |

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. shukriya doston.............aap sabhi ka bahut shukriya... apna pyaar aur ashirwaad yun hi bnaye rakhien..........

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  8. dil ki baate dil hi jaane kisme kitni gehraai hai,
    kitne zakhm diye isne or kitne zakhm ye paai hai,
    acchhe khaase riston me v pyar dikhawa hota hai,
    sach pucchho to dost mere hr risten me rosbaai hai..............
    dear manav aapka blog bhut khub hai..or aapke bichaar to usse v khi khubsurat hai...keep it up...good bless u....plz join my blog..artijha07.blogspot.com...

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मानव मेहता