चाँद के चेहरे से बदली जो हट गयी,
रात सारी फिर आँखों में कट गयी..
छूना चाहा जब तेरी उड़ती हुई खुशबू को,
सांसें मेरी तेरी साँसों से लिपट गयी..
तुमने छुआ तो रक्स कर उठा बदन मेरा,
मायूसी सारी उम्र की इक पल में छट गयी..
ए जाने वफ़ा, मेरी कायनात सिमट गयी...
मानव मेहता
प्यार की रंगत लफ्ज़ों में उभर आई है ........
ReplyDeleteबहुत उम्दा जारी रहे
ReplyDeleteप्रयास सराहनीय हैं !
ReplyDeleteलगे रहो !
www.omkagad.blogspot.com
खूबसूरत एहसास
ReplyDeleteachhi rachna
ReplyDeletewaah waah....bahut sundar....!!
ReplyDeleteलाजवाब पंक्तियाँ
ReplyDeleteShukriya mere doston................ :)))
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