मुझसे रूठ कर जो जाओगे तो कहाँ जाओगे,
मेरे वजूद, मेरे एहसास को कैसे छुपाओगे....
मेरी यादें बेचैन कर देंगी तुमको,
महफ़िल में जो कभी खुद को तनहा पाओगे..
रुक जाएँगी सांसें, थम जाएगी धड़कन,
अचानक से मेरा नाम जो कभी गुनगुनाओगे...
छत पर टहलते हुए, तारों की छाँव में,
अपने अक्स की जगह सिर्फ मुझको ही पाओगे....
मानव 'मन'
छत पर टहलते हुए, तारों की छाँव में,
ReplyDeleteअपने अक्स की जगह सिर्फ मुझको ही पाओगे.... बेहतरीन ख्याल...
बहुत ही सुन्दर ख्यालों को पिरोया है।
ReplyDeleteखूबसूरत ख़याल
ReplyDeleteसदा जी ,रश्मि जी ,वंदना जी बहुत बहुत शुक्रिया ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्यार के एहसास ....ये एहसास ही तो जीवन हैं ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDelete----
कल 28/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteरुक जायेंगी साँसें,थम जायेगी धड़कन,
ReplyDeleteअचानक से मेरा नाम जो कभी गुनगुनाओगे...
बहुत सुन्दर एहसास ...
मानव जी
ReplyDeleteमन के ख्यालों को पिरो कर बेहतरीन रचना,..
मेरे पोस्ट 'शब्द'में आपका इंतजार है,...
बहुत सुंदर एहसासों से piroya है रचना को ...
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनायें...
सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना है...
ReplyDeleteअपने सपनो में खूबसूरत अहसास को सजाती सुन्दर रचना |
ReplyDeleteसुन्दर एहसास... अच्छी नज़्म...
ReplyDeleteसादर बधाई...
खूबसूरत ख़याल ..
ReplyDeleteखूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत खूब मानव जी ... मन के गहरे एहसास को जैसे शब्द दे दिए ही आपने ...
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