Sunday, May 13, 2012

रिश्ता.........




आओ दोनों लोहे की जंज़ीरों से बंध जायें...
दोनों सिरे मिलाकर एक जिंदा लगा दें,
सुना है कच्चे धागे का रिश्ता-
अक्सर टूट जाया करता है.......!!!

7 comments:

  1. अच्छी पोस्ट!
    --
    मातृदिवस की शुभकामनाएँ!

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  3. संक्षेप में बहुत कुछ कह दिया आपने |
    आशा

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  4. आज 23/07/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. वाह ... अनुपम भाव

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  6. बहुत बहुत सुन्दर:-)

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता