कल रात तेरे नाम एक कलाम लिखा
कागज कलम उठा करा इक पैगाम लिखा,
पहले अक्षर से आखिरी अक्षर तक
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा
नाम लिखा.....
ढूँढने निकले कि कहीं से कुछ
अरमान मिले
तुझे देने को कहीं से कुछ सामान
मिले,
मगर फूलों के गाँव से,चाँद की
छाँव से
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा
नाम मिला.....
बहुत कोशिश की मैंने कि इक गजल
बनाऊं
तेरे हुस्न के धागों से प्यार
के मोती सजाऊं,
ढूँढा हर मंजर मे, लफ्जों के
समंदर में
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा
नाम मिला....
तेरे नाम से ही शुरू हुई ये
बंदगी मेरी
तेरे नाम पे ही मुकम्मल होगी
जिंदगी मेरी
देखा जब कभी अपने हाथों की
लकीरों में
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा
नाम दिखा......!!
मानव 'मन'
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (04-03-2020) को "रंगारंग होली उत्सव 2020" (चर्चा अंक-3630) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया सर....
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१ हेतु नामित की गयी है। )
ReplyDelete'बुधवार' ०४ मार्च २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
वाह!बहुत खूब!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह!!!
यादों की खुबसूरत नज्म दिल में घर कर गई
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