Wednesday, March 04, 2020

विष - अमृत














बरसों पहले
एक खेल खेला करते थे हम लोग
विष- अमृत नाम था शायद...!!
भागते - भागते जब कोई
छू लेता था किसी को
तो विष कहा जाता था
और वो एक टक पुतले के जैसे
रुक जाता था....
ना हिलता था ना कुछ बोल पाता था...
फिर जब कोई और उसे छू लेता तो
अमृत बन जाता था
खेलता था पहले के जैसे
भागता था... दौड़ता था.....!!

 आज फिर से मैं
इक दोस्त को अमृत कह रहा हूँ
पर ना जाने क्यों
वो हिलता नहीं.... उठता नहीं....!!
जाने किस तरह का विष
इसे मिला है इस रोज़....!!!




(दोस्त की मौत पर)

~मानव 'मन'

3 comments:

  1. mast लगे रहो सरकार

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद यशोदा जी।

    ReplyDelete

आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता