"तुमको चाहा है इक खुदा की तरह,
'बड़ी मासूम हो दुआ की तरह..
'तुझे देखूं तो लगता है,
'जिस्म जैसे नूरे-खुदा की तरह...
'मुझसे रूठ कर जो जाओगे,
'ज़िन्दगी होगी इक सज़ा की तरह...
'बस तेरा नाम ही मेरा हांसिल है,
'रच गया है हाथों पे हिना की तरह...
'हमने देखा है वक़्त ऐसा भी,
'दोस्त हो जाते हैं बेवफा की तरह...
'जिधर भी जाऊं हर तरफ है वीरानी,
'सुना-सुना है दिल आसमाँ की तरह...
by:- manav mehta
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
ReplyDelete'जिधर भी जाऊं हर तरफ है वीरानी,
'सूना-सूना है दिल आसमाँ की तरह...
सुंदर भावों और अल्फाजों से सजी रचना के लिये बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeletebahut hi umda shaayree kar rahe ho bhai!bahut khoob!
ReplyDeleteमानव जी पूरी रचना दिल को छू गयी बहुत सुन्दर है बधाई
ReplyDeleteaap sabhi ka mera honsla bdhane ke liye dhanywaad...........
ReplyDeleteMain Aapki tarif mein kya kahu....sabd nahi hai mere pass.....aap sarvgun samparn to hai hi......acche insaan bhi hai....
ReplyDeletebahut umda shayri karte ho.........
ReplyDeleteaur kya kahun???????
bahut umda shayri karte ho.........
ReplyDeleteaur kya kahun???????
touchy ......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मानव
ReplyDeleteखासकर ये
'बस तेरा नाम ही मेरा हांसिल है,
'रच गया है हाथों पे हिना की तरह...