Monday, October 26, 2009




"जब भी सुलझाना चाहा, ज़िन्दगी के सवालों को मैंने,
हर इक सवाल में ज़िन्दगी मेरी उलझती चली गयी..."

3 comments:

  1. बेहतरीन................

    जिन्दगी खुद एक सवाल है ........जिसका कोई जवाब नहीं .............

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  2. kuchh sabal aese mile jo jababo me milkr suljh gaye
    par kuchh jabab khud ek sabal bankar uljh gae....

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता