इस बार तो 'अश्कों' के ही, 'अलाव' जले हैं...'
'आओगे तुम कभी, इस 'राह' पर 'हमसे' 'मिलने,
'आस में इसी 'मोड़' पर, कितने ही 'चिराग' जले हैं...'
'अजीब रंग में, अब के 'बहार' गुजरी है,
'न मिले हो तुम हमसे, न 'गुलाब' खिले हैं...'
'किस-किस 'ख्वाहिश' को, पूरा करेंगे हम अकेले,
'पलकों में तो अपने, ढेरों ही ख्वाब पले हैं...'
'जब भी चाह डूबना, खुशियों के 'समन्दर' में,
'हर बार तो हमें 'दर्द' के, 'सैलाब' मिले हैं...'
'इस बार तेरे 'घर' की 'दिवाली', न जाने कैसी होगी ?
'अपने 'घर' तो 'अँधेरा', सिर्फ 'चिराग' तले है..."
"तुम आये हो न, 'हिज्र' के दिन ढले हैं,'
ReplyDeleteइस बार तो 'अश्कों' के ही, 'अलाव' जले हैं...'
इस बार तेरे घर की दीवाली न जाने कैसी होगी
अपने घर तो अंधेरा सिर्फ चिराग तले है
लाजवाब बधाई और दीपावली की शुभकामनायें
हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं.........
ReplyDeleteइधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं....
www.samwaadghar.blogspot.com
chirag tale bhi roshani faile, hardik badhayee.
ReplyDeleteआप सौभाग्यशाली मित्रों का स्वागत करते हुए मैं बहुत ही गौरवान्वित हूँ कि आपने ब्लॉग जगत में दीपावली में पदार्पण किया है. आप ब्लॉग जगत को अपने सार्थक लेखन कार्य से आलोकित करेंगे. इसी आशा के साथ आपको दीप पर्व की बधाई.
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं,
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jandar,shandar,damdar.narayan narayan
ReplyDeleteswagat hai blog jagat me
ReplyDeleteजलाते रहिए चिरागाँ हदे मोड़ों पर,
ReplyDeleteराहों में जाने कितने पड़ाव ठहरे हैं।
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रचते रहिए। ऐसी परिपक्वता बहुत कम दिखती है।
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete'इस बार तेरे 'घर' की 'दिवाली', न जाने कैसी होगी ?'अपने 'घर' तो 'अँधेरा', सिर्फ 'चिराग' तले है..."
ReplyDeleteWAH...WAH...WAH...