'मेरी 'किस्मत' बदल नहीं सकती.'
'वो जो कहते थे 'बेवफा' मुझको,
'उनकी 'आदत' बदल नहीं सकती.'
'जिनके हिस्से में 'डूबना' है लिखा,
'मैंने देखा है 'मोहब्बत' का चेहरा ऐसा,
'की फिर से 'तबियत' मचल नहीं सकती.'
'अब तो 'मुश्किल' है 'ठहरना' 'यारों,
'ये 'मौत' मेरी अब टल नहीं सकती.''मैंने 'चाहा' 'वो' जो मिल नहीं सकता,
'दिल की यह 'हसरत' निकल नहीं सकती."
मानव मेहता