Saturday, October 27, 2012

तेरे शब्द...



तेरे शब्द
चोट करते हैं
मुझ पर....

किसी लोहार के
हथोड़े कि मानिद...

मैं सोच रहा हूँ
आखिर
तुम मुझे __

किस शक्ल में
ढालना चाहती हो.....


7 comments:

  1. किसी को बदल देना ...प्यार नहीं है

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  2. Sahi kha Anju ji... Ye pyaar nahi... Tabhi to ye shabd likhe gaye....

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  3. और क्यूँ?
    मैं पत्थर तो हूँ नहीं ...

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  4. शुक्रिया मनु जी...

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  5. शब्दों को बांधों मत
    ढलने दो
    जिस शक्ल में ढलते हैं...

    शब्द ही हैं आखिर- 'मन' नहीं !!

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता