ना राह ना मंजिल, कुछ ना पाया जिन्दगी में
ना जाने कैसा मोड़ ये आया जिन्दगी में
तकलीफ,दर्द,चुभन,पीड़ा सब कुछ मिले इससे
फ़कत एक खुशी को ही ना पाया जिन्दगी में
वक़्त के मरहम ने सभी घाव तो भरे मेरे
मगर जख़्मों से बने दाग को पाया जिन्दगी में
औरों की खुशी के लिए अपनी खुशी भूल गए
मुस्कराते हुए अकसर गम छुपाया जिन्दगी में
तन्हाइयों को चीरती आवाज ना सुन सका कोई
इस कदर खुद को अकेला पाया जिन्दगी में.....
मानव मेहता 'मन'
HEART TOUCHING VERY NEAR TO LIFE
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteShukriya Sda ji...
Deleteलाजवाब ... खुशियां आसानी से नहीं मिलती जिंदगी में ...
ReplyDeleteको गई दिल को रचना ...
Sahi kha Digambar ji
Deleteआपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 18/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
Shukriya yashwant ji..
Deleteउम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteShukriya Sangita ji..
Deletebahut khoob
ReplyDeleteThnks Prakash ji
Deleteइसी का नाम जिंदगी है....सभी शेर एक से बढ़कर एक....बहुत खूब...!
ReplyDeleteShukriya Aditi Poonam ji...
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ReplyDeleteलाजवाब ,मर्मस्पर्शी रचना
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post वटवृक्ष
Jarur Kalipad Ji....
DeleteShukriya...
बहुत सुन्दर हर पंक्ति भावपूर्ण लगी !
ReplyDeleteShukriya Suman ji...
Deleteमुस्कराते हुए गम छिपाया हमने ज़िन्दगी में,.......
ReplyDeleteयही तो ज़िन्दगी है जनाब ,काफी करीब है,बयां न कर पाने वालों के.सुन्दर रचना.
Thnks... Dr. Sahab....
Deleteआह ......
ReplyDeleteहाल-ए-बयाँ जिंदगी का
........मर्मस्पर्शी रचना
ReplyDeleteशुक्रिया संजय जी।
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