मेरे अल्फाज़ अब तुम मुझसे यूँ दगा ना करो
मैं जानता
हूँ कि चंद महीनों से ,
मैंने
कागज पर उतारा नहीं तुमको ...
एक मुद्दत
से अपने जख्मों पर ,
तेरे नाम
का मरहम नहीं रखा ...
मगर ऐ
मेरे अल्फाज़
सब कसूर
मेरा तो नहीं ....
तुमने भी
तो कहाँ मेरे जेहन में आकर –
सोई हुई
कविताओं को जगाया था कभी ....
और इन
नज्मों की तारों को भी तो तुमने –
कभी
थर-थराया नहीं था ....
जब कभी
सर्द रातों में –
चाँदनी के
आँगन टहलता था मैं –
तब भी तो
तुम आते नहीं थे ...
और इक रोज
जब उसके शहर मेरा जाना हुआ था –
तब कहाँ
थे तुम ??
क्यूँ
नहीं इक नज़्म बन कर –
उसके
दरवाजे पर छूट आए थे तुम .......
खैर अब जो
कागज कलम लिए बैठा हूँ मैं –
तो उतर आओ
मेरे दिल के किसी कोने से –
इन पन्नों
पर बिखर जाओ –
मेरे लहू
के संग ...
चंद बातें
कर लो मुझसे –
कि आज दिल
उदास बहुत है ....!!
मानव
मेहता ‘मन’
bhavpoorn prastuti .aabhar
ReplyDeleteAabhar... Dr. Shikha...
Deleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति . .बधाई .
ReplyDeleteThnks Shalini ji...
Deleteऔर इक रोज़ जब उसके शहर मेरा जाना हुआ था ....
ReplyDeleteतब कहाँ थे तुम?
क्यूँ नहीं इक नज़्म बनकर
उसके दरवाज़े पे छूट आये थे तुम ......बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
http://boseaparna.blogspot.in/
Shukriya Aparna ji...
DeleteVery touching
ReplyDeleteThnks....
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शनिवार (11-05-2013) क्योंकि मैं स्त्री थी ( चर्चा मंच- 1241) में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Shukriya Dr. Sahab...
Deleteबहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण रचना की प्रस्तुति.
ReplyDeleteShukriya Rajendra ji...
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
Shukriya....
DeleteSadar...
so nice beautiful lines great emotins and feelings
ReplyDeleteThanks Ramakant ji...
Deleteवाह वाह बहुत खूब
ReplyDeleteShukriya Anju ji...
Deleteअल्फाज़ एक लेखक के सच्चे साथी होते हैं
ReplyDeleteमानव ....पर इनकी बरसात तभी होती है
जब माँ शारदे की कृपा हो ...
कवि मन तो चाहता है उड़ेल दे सभी भावनाए
शब्दों के समंदर में ...खासकर उदासी में
....पर ये भी जिद्दी होते हैं ......पूरी मान -मनुवर करवाते हैं
:)
Yahi to problem hai Poonam ji...
Deleteबहुत खूब ........
ReplyDeleteअलफ़ाज़ कभी कभी ऐसे ही करते हैं ...........
सुन्दर अभिव्यक्ति
Ji bilkul Aruna ji....
DeleteShukriya...
भावपूर्ण ... शब्दों को कागज़ पे उतारना जरूरी है ... सृजन के लिए ...
ReplyDeleteDurrust farmaya Digambar ji...
Deleteभावपूर्ण कविता ..मन को जस का तस रख दिया हो जैसे!
ReplyDeletePasand karne ke liye Shukriya Alpna ji...
Deleteone of d best one manav... रूह से निकले लफ्ज़ रूह को छू गए ।
ReplyDeleteइन अल्फाजों को पढ़कर कुछ लिखा है .. जल्द ही पोस्ट करुँगी ..पढ़ना
ह्म्म्म
Deleteग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
ReplyDeleteशुक्रिया संजय भाई।
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