Friday, April 26, 2013

ऐ मेरे नाहिद












बाद-ए-अरसे तो तू मुझको मिला है ऐ मेरे नाहिद   
फिर यूँ ना कर तू मुझसे अब ये बेरुखी की बातें 

कि मेरे हालात तुझे खोने की गुंजाईश नहीं रखते !!


‘मन’
* नाहिद – प्रियवर,महबूब,प्रेयसी 

28 comments:

  1. बहुत ही बढिया।

    ReplyDelete
  2. इल्तिजा..इब्तदा ..मन की कलम का नायब मोती..बहुत सुंदर मानव

    ReplyDelete
  3. Replies
    1. क्या खूब है शेखर जी...;-)
      शुक्रिया जनाब।

      Delete
  4. मानव .........मन की बात कह दी .........पर बहुत देर कर दी .....:) हहह अच्छा लिखा है ....
    ताउम्र इंतज़ार किया जिसका
    दीदार गर हो जाए उसका
    कैसे उसका इंतेख़ाब करूँ
    देखूं उसे, के मन की बात करूँ ........पूनम

    ReplyDelete
    Replies
    1. देर कहाँ हुई है पूनम जी,
      जब कह दिया तभी से मान लो... ;-))

      बहुत अच्छा लिखा आपने।

      Delete
  5. मेरे हालात तुझे खोने की ...

    क्या बात है!
    बहुत खूब!

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया अल्पना जी।

      Delete
  6. बहुत ही सुन्दर....

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया राजेन्द्र जी।

      Delete
  7. Replies
    1. धन्यवाद संगीता जी।

      Delete
  8. बहुत सुंदर !

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया अनीता जी।

      Delete
  9. कितनी मुद्दत बाद मिले हो ... किन सोचों में गुम रहते हो ...

    ये शेर याद आ गया आपको पढ़ने के बाद ... कमाल का लिखा है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. ज़र्रा नवाजी दिगंबर साहब।

      Delete
  10. बढ़िया लिखा है |
    आशा

    ReplyDelete
    Replies
    1. आशीर्वाद आपका आशा जी।

      Delete
  11. Replies
    1. शुक्रिया पल्लवी जी।

      Delete
  12. वाह बहुत खुबसूरत!
    कि मेरे हालत तुझे खोने की गुंजाईश नहीं रखते...
    कि पाक मुहब्बत में हम कोई आजमाईश नहीं रखते...

    ReplyDelete
    Replies
    1. वाह क्या बात है स्नेहा जी।
      बहुत खूब।

      Delete

आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता