'तेरी तस्वीर देखते-देखते, मेरी तकदीर संवर जाती है...'
'कहने को तुम दूर हो मगर, पर 'दूर' कभी हुए नहीं हमसे,
'दिखते' हो तुम हर जगह, जहाँ कही ये 'नज़र' जाती है...'
'दिन भर तेरी यादों की, 'धुप' में जला करते हैं,
'शाम ढलते ही तेरी 'तन्हाई', दिल में उतर जाती है...'
'तुम भूल गए हो शायद, वो अपने 'वादे' दोस्ती के,
'मेरी 'खामियां' भी अब तुमको, 'गुनाह' नज़र आती है...'
'अगरचे' इस बार 'बिछडे', तो शायद ही मिल पायेंगे,
'इसी सोच पर अक्सर,मेरी 'धड़कन' ठहर जाती है...'
'कब 'मिलोगे हमसे ऐ 'दोस्त', उसी 'शक्ल' में वापिस,
'जिस 'सूरत' में तेरी 'दोस्ती' मुझे, 'जन्नत' सी नज़र आती है...'
'वही 'गली' है, वही 'मकान' है, वही 'शहर' है तेरा,
'मगर भूल गया हूँ तेरी ओर, कौन सी डगर जाती है..."