कुछ अनकहे लफ्ज़-
टांगे हैं तेरे नाम,
इक नज़्म की खूंटी पर...
और वो नज़्म-
तपती दोपहर में...
नंगे पाँव-
दौड़ जाती है तेरी तरफ ...!!
गर मिले वो तुझको,
तो उतार लेना वो लफ्ज़-
अपने जहन के किसी कोने में
महफूज कर लेना....!!
और मेरी उस नज़्म के पांव के छालों पर,
लगा देना तुम अपनी मोहब्बत का लेप.....!!
मानव मेहता 'मन'
ज़ख्म भरें या न भरें .... एक तृप्ति मिल जाएगी
ReplyDelete.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति मोदी संस्कृति:न भारतीय न भाजपाई . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteबहुत खूब ...मौन की एक भाषा
ReplyDelete...मोहब्बत का लेप........ के मोहब्बत हर ज़ख्म भर देती है !
ReplyDeleteबहुत खूब !
गज़ब..उम्दा!
ReplyDelete'...उतार लेना वो लफ़्ज़ ,
ReplyDeleteअपने ज़ेहन के किसी कोने में
महफ़ूज़ कर लेना !'
- एहसास की अपनी भाषा !
नि:शब्द हूँ ....
ReplyDeleteबहुत ही भावात्मक प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteऔर मेरी उस नज़्म के पांव के छालों पर
ReplyDeleteलगा देना तुम अपनी मोहब्बत का लेप.....!!
सालते छालों पर इससे बेहतर मरहम क्या होगा भला...।
मोहब्बत का लेप...;क्या बात है
ReplyDeleteबहुत खूब ... शब्दों की जादोगरी ...
ReplyDeleteमुहब्बत का लेप ... आफरीन ...
मखमली जज़्बात ............प्यार की सौगात
ReplyDeleteअनकहे लफ़्जों की अनोखी दास्ताँ...
ReplyDeleteवाह..
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूब
सुन्दर भावात्मक अहसास लिए रचना..
:-)
मोहब्बत और तेरे हाथों की छुवन हर लेंगे सब दर्द......
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ...
अनु
बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteअनकहे लफ्जों को नज्म बयाँ कर देती है
ReplyDeleteउस नज्म को उसकी मंजिल मिले तो बढ़िया
बहुत ही सुन्दर रचना ...