रात भर झांकता रहा चाँद
मेरे दिल के आँगन में.......
कभी रोशनदान से
तो कभी चढ़ कर मुंडेरों पे
कोशिश करता रहा
मेरे अंदर तक समाने की.....
जाने क्या ढूँढ रहा था
गीली मिट्टी में...!!
तेरी यादों को तो मैंने
संभाल के रख दिया था
इक संदूक में अरसा पहले......
फिर भी न जाने कैसे
उसे उनकी महक आ गई...
चलो अब यूँ करें कि
आज दिल के सारे खिड़की-दरवाजे
बंद करके सोयें
कहीं आज फिर
चुरा न ले वो तुझे मुझसे......!!
Manav Mehta 'मन'
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletelatest post आभार !
latest post देश किधर जा रहा है ?
शुक्रिया कालीपद जी।
Deleteबहुत सुंदर और भावपूर्ण .....
ReplyDeleteधन्यवाद अदिति जी।
Deleteकहीं आज फिर चुरा न ले वो तुझे मुझसे .. वाह .. बहुत सुन्दर कविता .. बेहद भावपूर्ण!
ReplyDeleteशुक्रिया शालिनी जी, रचना पसंद करने के लिए।
Deleteरूमानी और खुबसूरत!
ReplyDeleteशुक्रिया स्नेहा।
Deleteकोमल भाव लिए सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
रीना जी, धन्यवाद।
Deleteबढ़िया
ReplyDeleteबेहद सुंदर...कहीं .आज.. फिर.. चुरा न ले तुझे ..मुझसे...
ReplyDeleteशुक्रिया मंजूषा....:)
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ReplyDeleteलाजवाब.. तारीफ़ की तारीफ़ कैसे की जाए..
ReplyDeleteआपका बेहद शुक्रिया... पसंद करने के लिए।
Deleteबहुत सुंदर और भावपूर्ण
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