मुझसे रूठ कर जो जाओगे तो कहाँ जाओगे,
मेरे वजूद, मेरे एहसास को कैसे छुपाओगे....
मेरी यादें बेचैन कर देंगी तुमको,
महफ़िल में जो कभी खुद को तनहा पाओगे..
रुक जाएँगी सांसें, थम जाएगी धड़कन,
अचानक से मेरा नाम जो कभी गुनगुनाओगे...
छत पर टहलते हुए, तारों की छाँव में,
अपने अक्स की जगह सिर्फ मुझको ही पाओगे....
मानव 'मन'