Tuesday, November 19, 2013

जुगलबंदी.... :)

कल मैंने मेरी बड़ी बहन समान नीलीमा शर्मा जी के  इनबॉक्स में  कुछ लिखा  कि दीदी देखो कैसा लिखा  हम दोनों अक्सर इस तरह अपना लिखा एक दुसरे को दिखाते  रहते हैं फिर  क्या जुगलबंदी हुयी आपकी नजर पेश हैं ..............~~


तुमने सुना तो होगा
जब चलती हैं तेज़ हवाएं
फड़फड़ा उठता है
सोया हुआ शजर
बासी से कुछ मुरझाये हुए से पत्ते
छोड़ देते हैं साथ
दिये कई तोड़ देते हैं दम
जब चलती हैं तेज़ हवाएं
बर्बाद हो जाता है सब कुछ
इक रोज़ इक ऐसे ही
तेज़ हवा में
बुझ गया था -
मेरा भी इक रिश्ता....!!    मानव मेहता शिवी
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न तेज हवा चली थी /
न कोई तूफ़ान आया था /
न हमने  कोई आसमा सर पर उठाया था /
 हम जानते  थे ना /
हमारा रिश्ता नही पसंद आएगा /
हमारे घर के ठेकेदारों को /
जिनके लिय अपने वजूद  का होना लाजिमी था /
 हमारी कोमल भावनाओ से इतर /
और हम दोनों ने सिसक कर  /
भीतर भीतर चुपके से /
 तोड़ दिया था अपना सब कुछ /
बिना एक भी लफ्ज़ बोले /
मैंने तेरा पहना कुरता मुठी मैं दबा कर /
 तुमने मेरी लाल चुन्नी सितारों वाली /
जो आज भी सहेजी हैं दोनों ने /
अपने अपने कोने की अलमारी के /
भीतर वाले कोने में........... नीलिमा शर्मा निविया
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मुझे याद तो नहीं शोना
पर जब से तुम गयी हो
लगभग हर रात
अपनी अलमारी खोल कर
देखता हूँ उस लाल रंग के
सितारों वाले दुप्पट्टे को
जो तेरी इक आखरी सौगात
मेरे पास छोड़ गए थे तुम
तुम नहीं मगर तुम्हारा एहसास
आज भी उस दुप्पट्टे में
वाबस्ता है...
मैं आज भी इसमें लिपटी हुई
मेरी मोहब्बत को देखता हूँ...

मुझे याद तो नहीं शोना
पर जब से तुम गयी हो
ज़िन्दगी घुल सी गयी है लाल रंग में मेरी... Manav Shivi Mehta
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तुम्हारा वोह सफ़ेद कुरता
आज भी रखा हैं कोने में
अलमारी के
जहाँ मैं सहेजती हूँ यादे अपनी
और जब अकेली होती हूँ न
अपने इस कोहबर में ,
तो पहन कर वोह सफ़ेद कुरता
महसूस करती हूँ तुम्हे
अपने बहुत करीब
तुम्हारी आखिरी सफ़ेद निशानी
जो छीन कर ली थी मैंने तुमसे
उसमें वोह अहसास भी जुड़े हैं तेरे - मेरे
जो हमने जिए तो नही
फिर भी कई बार महसूस जरुर किये हैं 

 सुनो शोना
अब मेरी जिन्दगी  पहले जैसे  रंगीन नही रही
शांत रहना सीख लिया मैंने
तेरे कुरते के सफ़ेद रंग की तरह .................... नीलिमा  शर्मा

8 comments:

  1. बड़ी प्यारी जुगलबंदी है :)

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  2. मानव तुम हमेशा से अच्छा लिखते आये हो मुझे कई बार तुमसे लिखने कि प्रेरणा मिलती हैं बहुत उम्दा लिखा तुमने केई मैं अपने को रोक नही पायी और अचानक यह सब लिखा गया .... शुक्रिया इस तरह काव्य सृजन मैं साथ देने का ......... ईश्वर आपकी लेखनी में सार्थक लफ्ज़ो का अधिकतम समावेश करे .अमीन

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    1. अरे दी... बहुत बड़ी बात कह दी आपने... मैं तो बस कलम चलाता हूँ... इतना भी अच्छा नहीं लिखता जितनी आपने तारीफ़ कर दी है... आप अच्छा लिखती हैं तभी तो झट से आपने ये सब लिख डाला...
      शुक्रिया आपके आशीर्वाद का... :)

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  3. http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ २२/११/२०१३ में आपकी रचना को शामिल किया गया
    कृपया पधारे

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  4. कल 22/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  5. दोनों का काव्य बेहतरीन है

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  6. नीलिमा जी के blog पर पढ़ी थी ..... आज दोबारा पढ़ और अधिक खुबसूरत लगी दोनों रचनाएँ

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता