अभी चार रोज़ पहले ही तो
आई थीं मेरे पास
कहा था उसने
कि इस बार कुछ दिन रुक के जाऊँगी....
मगर आज अचानक से
बिन बताये चली गयी____
ये 'खुशियाँ' भी ना,
मेरे पास कभी ठहरती ही नहीं.....
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Friday, March 18, 2022
खुशियाँ
Wednesday, March 04, 2020
विष - अमृत
बरसों पहले
एक खेल खेला करते थे हम लोग
विष- अमृत नाम था शायद...!!
भागते - भागते जब कोई
छू लेता था किसी को
तो विष कहा जाता था
और वो एक टक पुतले के जैसे
रुक जाता था....
ना हिलता था ना कुछ बोल पाता था...
फिर जब कोई और उसे छू लेता तो
अमृत बन जाता था
खेलता था पहले के जैसे
भागता था... दौड़ता था.....!!
आज फिर से मैं
इक दोस्त को अमृत कह रहा हूँ
पर ना जाने क्यों
वो हिलता नहीं.... उठता नहीं....!!
जाने किस तरह का विष
इसे मिला है इस रोज़....!!!
(दोस्त की मौत पर)
~मानव 'मन'
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