Showing posts with label बरसात. Show all posts
Showing posts with label बरसात. Show all posts

Sunday, March 01, 2020

किसी की याद में



जाने कहां गई वो शाम ढलती बरसातें
हाथों में हाथ डाल जब दोनों भीगा करते थे
जाने कहाँ गए वो सावन के झूले
इक साथ बैठ जब दोनों झूला करते थे
अब तो बस तन्हाई है और तेरी यादों का साथ
जाने कहाँ गए वो लम्हें जो तेरे साथ बीता करते थे

वो लिखना मेरा कागज़ पे गज़लें
और कागज़ की तुम किश्ती बनाया करते थे
याद है मुझे वो अपनी हर इक बात
जिस बात पर तुम मुस्कराया करते थे

लौट आओ वापिस कि मुझे जरूरत है उस हाथ की
जिसकी अँगुलियों से तुम मेरे होंठ चूमा करते थे
बुला रही है तुमको वो मेरी गज़लें
जिन गज़लों को तुम गुनगुनाया करते थे

लौट आओ उन फूलों की खातिर
मेरी किताबों में जिन्हें तुम प्यार से सजाया करते थे
दे रही सदा अब उस दिल की धड़कन तुमको
जिस दिल को कभी तुम दिल में बसाया करते थे !!


मानव मेहता ‘मन’