जी चाहता है रंग दूँ सपनों को अपने,
हाथों में तेरे हिना
भी रंग दूँ...
भर दूँ तेरी दुनिया खुशियों से हमदम,
आँचल में तेरे सितारे भी भर
दूँ...
ना हो तेरी महफ़िल में पतझड़ का मौसम,
तेरे चमन को हमदम बहारों से भर दूँ...
तू जो चले मेरे जानिब दो कदम,
इस जादा-ऐ-तलब को नज़ारों से भर दूँ... !!
मानव मेहता 'मन'