कल रात तेरे नाम एक कलाम लिखा
कागज कलम उठा करा इक पैगाम लिखा,
पहले अक्षर से आखिरी अक्षर तक
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा
नाम लिखा.....
ढूँढने निकले कि कहीं से कुछ
अरमान मिले
तुझे देने को कहीं से कुछ सामान
मिले,
मगर फूलों के गाँव से,चाँद की
छाँव से
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा
नाम मिला.....
बहुत कोशिश की मैंने कि इक गजल
बनाऊं
तेरे हुस्न के धागों से प्यार
के मोती सजाऊं,
ढूँढा हर मंजर मे, लफ्जों के
समंदर में
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा
नाम मिला....
तेरे नाम से ही शुरू हुई ये
बंदगी मेरी
तेरे नाम पे ही मुकम्मल होगी
जिंदगी मेरी
देखा जब कभी अपने हाथों की
लकीरों में
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा
नाम दिखा......!!
मानव 'मन'