Showing posts with label एहसास. Show all posts
Showing posts with label एहसास. Show all posts

Monday, March 02, 2020

वो अगर आज यहाँ होते


वो अगर आज यहाँ होते,
तो खुशियों से भरे आसमां होते....
कौन कहता फिर बेवफा उनको,
हम भी तो फिर बावफा होते......
पूरे होते हमारे सपने सभी,
नई उमंगों से भरे आशियाँ होते....
चलते जब साथ कदमों से कदम,
तो रास्ते मंजिलों के खुशनुमां होते.....
गुलाहे-रंग-रंग से भरा होता चमन मेरा
मुअत्तर हर-सू ये सभी बागवां होते....
बज्मे-अंजुम में कटती हमारी रातें सभी
और दिन भी सभी आराम-ए-जां होते....
रंग देते नई तमन्नायें उनकी मोहब्बत में,
कलम के कुछ और ही अंदाज-ए-बयाँ होते.....!!



गुलाहे-रंग-रंग  - रंग बिरंगे फूल
मुअत्तर   -  महकना
हर-सू      -  चरों तरफ
बज्मे-अंजुम    -  सितारों की सभा
आराम-ए-जां    -   सुखद



मानव 'मन' 

Tuesday, July 22, 2014

ख़ामोशी










ख़ामोशी
परत दर परत
जमती जाती है
एहसासों पर...

सन्नाटा लफ़्ज़ों पर
गिरफ्त बढ़ा है
लम्हा लम्हा

हमारे बीच की आवाजें
अब दफ़न हो रही हैं.......!!!!



मानव मेहता 'मन' 

Friday, May 24, 2013

तुम्हारा एहसास




अभी अभी
पीपल की झड़ी पत्तियों को
एक तरफ रख कर
जला कर बैठा ही था कि
उसके धुएं में भी
तुम्हारा ही चेहरा नज़र आया
कल भी कुछ ऐसा ही हुआ था
जब रोशनदान से
सूरज की रोशनी
मेरे कमरे में पहुँची थी
तो लगा था
कि तुम आए हो
तुम हर जगह दिखती हो मुझको
तुम नहीं हो
पर...
हर वक़्त तुम्हारा एहसास
मेरे साथ रहता है...!!

मानव मेहता 'मन' 

Sunday, March 10, 2013

तेरा एहसास















डूब  कर  तेरे  एहसास  के  समंदर  में 

मुझे तेरे प्यार का एक मोती मिल गया 

सेहरा-ए-बंजर  थी  ये  हस्ती  मेरी 


मिले तुम जीने का एक सबब मिल गया..!! 




मानव मेहता 'मन'

Sunday, January 15, 2012

तेरी महक.......



















कुछ लफ्ज़ अपनी मोहब्बत के-
बिखेर दो मेरे आँगन....
इन हवाओं में घोल दो-
अपनी चाहत की नमी...!!
बरस जाओ बन के बादल
मेरे जिस्म-ओ-जां पर...
कि मेरी रूह का इक टुकड़ा भी प्यासा ना रहें...!!

उतर आओ सितारों के झीने से इक रोज,
और बाँट लो खुद को मेरी रगों में...
आहिस्ता आहिस्ता ;
पिघल जाओ बदन में मेरे-
कि ज़र्रे ज़र्रे से इसके सिर्फ तेरी महक आए....!!


                                   मानव 'मन' 

Saturday, November 26, 2011

एहसास ये तेरा मेरा.....















मुझसे रूठ कर जो जाओगे तो कहाँ जाओगे,

मेरे वजूद, मेरे एहसास को कैसे छुपाओगे....




मेरी यादें बेचैन कर देंगी तुमको,


महफ़िल में जो कभी खुद को तनहा पाओगे..




रुक जाएँगी सांसें, थम जाएगी धड़कन,


अचानक से मेरा नाम जो कभी गुनगुनाओगे...



छत पर टहलते हुए, तारों की छाँव में,

अपने अक्स की जगह सिर्फ  मुझको ही पाओगे....





                                                                     मानव 'मन'