Monday, March 02, 2020

वो अगर आज यहाँ होते


वो अगर आज यहाँ होते,
तो खुशियों से भरे आसमां होते....
कौन कहता फिर बेवफा उनको,
हम भी तो फिर बावफा होते......
पूरे होते हमारे सपने सभी,
नई उमंगों से भरे आशियाँ होते....
चलते जब साथ कदमों से कदम,
तो रास्ते मंजिलों के खुशनुमां होते.....
गुलाहे-रंग-रंग से भरा होता चमन मेरा
मुअत्तर हर-सू ये सभी बागवां होते....
बज्मे-अंजुम में कटती हमारी रातें सभी
और दिन भी सभी आराम-ए-जां होते....
रंग देते नई तमन्नायें उनकी मोहब्बत में,
कलम के कुछ और ही अंदाज-ए-बयाँ होते.....!!



गुलाहे-रंग-रंग  - रंग बिरंगे फूल
मुअत्तर   -  महकना
हर-सू      -  चरों तरफ
बज्मे-अंजुम    -  सितारों की सभा
आराम-ए-जां    -   सुखद



मानव 'मन' 

2 comments:

  1. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता