Tuesday, July 22, 2014

ख़ामोशी










ख़ामोशी
परत दर परत
जमती जाती है
एहसासों पर...

सन्नाटा लफ़्ज़ों पर
गिरफ्त बढ़ा है
लम्हा लम्हा

हमारे बीच की आवाजें
अब दफ़न हो रही हैं.......!!!!



मानव मेहता 'मन' 

Monday, January 06, 2014

दर्द-ए-जिंदगी












जिंदगी दर्द में दफ़न हो गई इक रात,
उदासी बिखर गई चाँदनी में घुल कर....!!
चाँद ने उगले दो आँसू,
ज़र्द साँसें भी फड़फड़ा कर बुझ गयी......!!

इस दफा चिता पर मेरे-
मेरी रूह भी जल उठेगी.........!!




मानव मेहता 'मन'