Monday, September 30, 2013

लफ्ज़

लफ्ज़ दिल का आईना होते हैं
दिल खुशगवार हो तो
खुशबू से बिखरते है लफ्ज़
और निखर आती है खुशनुमा पेंटिंग...

और दिल गर उदास हो तो
लफ्ज़ दर्द में भीगे से
कुछ यूँ उतरते हैं कागज़ पर
कि जैसे 'मोनालिसा का उदास चेहरा'...!!




20 comments:

  1. नमस्कार आपकी यह प्रस्तुति आज मंगलवार (01-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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    1. शुक्रिया कालीपद जी।

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  3. दिल के इस आईने का इस्तेमाल तभी तो समझदारी से होना चाहिए ... पर दिल कभी कभी मानता नहीं ..

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    1. सही कहा दिगम्बर जी।

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  4. आपकी इस पोस्ट को हिंदी ब्लागर्स चौपाल http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/"> {शुक्रवार} 4/10/2013 पर शामिल किया गया हैं ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी पोस्ट पढ़ सके .अवलोकनार्थ कृपया पधारे धन्यवाद

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    1. शुक्रिया, आभार..... नीलिमा दी।

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  5. राजीव जी, शुक्रिया।

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  6. बहुत बेहतरीन रचना...

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    1. मुकेश कुमार जी, आभार आपका

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  8. बेहद सुंदर...भावपूर्ण रचना..

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    1. पसंद करने के लिए आभार मंजूषा...

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  9. सुन्दर परिभाषा और चित्र भी सटीक

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता