Wednesday, February 13, 2013

तेरे लिए










जी चाहता है रंग दूँ सपनों को अपने,
हाथों  में  तेरे  हिना  भी  रंग  दूँ...


भर दूँ तेरी दुनिया खुशियों से हमदम,
आँचल  में  तेरे सितारे  भी  भर दूँ...

ना हो तेरी महफ़िल में पतझड़ का मौसम,
तेरे  चमन को हमदम  बहारों से भर दूँ...

तू  जो चले  मेरे जानिब  दो कदम,
इस जादा-ऐ-तलब को नज़ारों से भर दूँ... !!


मानव मेहता 'मन' 

22 comments:

  1. अनुपम भाव संयोजन ....शुभकामनायें कभी समय मिले आपको तो आयेगा मेरी भी पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  2. hanji jarur pallavi ji ...shukriya aapka

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  3. अच्‍छी कविता के धन्‍यवाद

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  4. अच्छा लिखते हो ..
    बधाई !!

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  5. कितना सही कहा है आपने

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  6. बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ !!!

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  7. ...बहुत सुन्दर शब्दों में चित्रित प्रेम की अभिव्यक्ति!..आभार!

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  8. अच्छी ग़ज़ल.....

    अनु

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता