Sunday, June 12, 2011

ख़ामोशी.............



ख़ामोशी.............
लम्बी ख़ामोशी................ 
चलो अब इसका मज़ा भी चख लें.............. 
तुझसे होते हुए कई शब्दों को सुना मैंने ,
कुछ शहद की तरह मीठे थे
और
कुछ नीम की तरह कडवे............
कुछ में तेरे प्यार की खुशबू महकती थी
तो कुछ यूँ लगता था
जैसे कोई अजनबी ने राह चलते हुए पुकारा हो ..........
कुछ को समझ पाया
और कुछ उड़ते गए यूँ ही हवा में.........
शायद यही गलती हुई मुझसे...........

शायद उनको भी समझना जरुरी था........... 
पर...............
अब जो हालात बन चुके हैं
दरम्यान अपने
शायद उन्ही शब्दों का नतीजा हैं..............

अब केवल ख़ामोशी सुनती है दोनों तरफ......... 
अब शब्द गुफ्तगू करते नहीं आपस में.............

                                                                    
                                                                   :-Manav Mehta

10 comments:

  1. kabhi kabhi khamoshi bahut kuchh kah jati hai ..... i think pyaar me yun khamosh ho jana shayad is baat ko darshata hai ki pyaar jubaan ka mohtaj nahi....... its feeling(sound) that two hearts listen even they are apart from each other...

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  2. बेहद गहन
    खामोशी की आवाज़ खामोशी ही सुनती है।

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  3. पर ये खामोशी बहुत तकलीफ देती है....भयावान..ओर डरावनी बन जाती है कुछ ऐसी ही खामोशियाँ

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  4. chalo khamoshi ka maza chakh len ....
    koi dhun bana len, phir gungunayen

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  5. खामोशी ही खामोशी को सुन पाती है ...गहन अभिव्यक्ति

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  6. सुंदर ....गहन अभिव्यक्ति लिए अर्थपूर्ण पंक्तियाँ . ....

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  7. रिश्तों मे ये शब्द ही आढे आ जाते हैं। सुने तो भी न सुने तो भी। अच्छे भाव। शुभकामनायें।

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  8. अब केवल ख़ामोशी सुनती है दोनों तरफ...
    अब शब्द गुफ्तगू करते नहीं आपस में....!!

    मौन की अपनी अलग ही भाषा होती है...

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता