Saturday, May 21, 2011

मौसम संग बदलते रिश्ते...

















कौन चलता है ताउम्र किसी के साथ
साँसें भी थम जाती हैं धड़कन रूक जाने के बाद
तुमसे नहीं गिला कोई जो किया अच्छा किया
रिश्ते बदल जाते हैं अकसर मौसम बदल जाने के बाद.......


                           मानव मेहता 

25 comments:

  1. ओह! क्या बात कही है और बेहतरीन बिम्ब प्रयोग् दिल को छू गयी।

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब मानव ...वक्त के साथ अकसर रिश्ते बदल जाया करते हैं...

    ReplyDelete
  3. bahut khub likha hai

    bas yaade hai jo sath chalti hai har waqt...

    ReplyDelete
  4. behad khubsurat shayri likhi hai aapne....jo ki humare ziban ka such bhi hai........

    ReplyDelete
  5. भाई मानव जी मेहता,
    आपका ब्लोग नियमित देख्ता रहता हूं !
    समयभाव के कारण टिप्पणियां नहीं छोड़ पाता !
    कृपया इसे अन्यथा न लें !
    आपकी यह पंक्तियां भी बहुत अच्छी लगीं-बधाई !
    जय हो !

    ReplyDelete
  6. बिलकुल सही बात है\

    ReplyDelete
  7. शुक्रिया,
    आप सभी मित्रों का जो निरंतर मेरा होंसला बढ़ते रहते हैं............. !!!!!
    हमेशा यूँ ही अपना प्यार और आशीर्वाद बनाये रखिये.............

    ReplyDelete
  8. कम शब्दों में सच कहा ....आजकल यूँ ही बदलते हैं रिश्ते ....

    ReplyDelete
  9. मानव...
    अक्सर देखा जाता है की छोटी-छोटी बातें अपना जो impact छोड़ती हैं....
    वो बड़ी-बड़ी लम्बी-लम्बी बातें नहीं छोड़ पातीं..!!
    एक साथ मैं सारी रचनाएं पढ़ गयी...
    और काफी देर तक उनके भावों से उबार नहीं पायी....
    क्या कहूँ...?????
    बस,खूबसूरत........!!

    ReplyDelete
  10. शुक्रिया पूनम जी, आप मेरे ब्लॉग पर आये....और इन रचनाओं को अपना वक़्त दिया और सराहा.........
    आपसे से request है की आप मेरे दुसरे ब्लॉग पर भी वक़्त निकल कर आइयेगा..
    www.saaransh-ek-ant.blogspot.com

    ReplyDelete
  11. maanav bhai
    namskaar !
    chhoti chhoti baat aksar kaam ki hoti hai bas dekhne ki wo driti honi chhaihye . aap ki in panktiyon me bahut kuch kah diyaa . achchi abhvyakti , sadhuwad

    ReplyDelete
  12. manavji
    naman,

    bahut hi khoobsoorat ahsas......aapka abhar.

    ReplyDelete
  13. अच्छी रचना के लिए आपको बधाई । आप हमेशा सृजनरत रहें और मेरे ब्लॉग पर आपकी सादर उपस्थिति बनी रहे । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  14. मानव भाई

    क्या बात, बहुत ही जबर्दश्त .. दिल को छु गयी है यार. बस कुछ कहने के लिये नहीं है ..

    बधाई !!
    आभार
    विजय
    -----------
    कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html

    ReplyDelete
  15. नमस्कार मित्र आईये बात करें कुछ बदलते रिश्तों की आज कीनई पुरानी हलचल पर इंतजार है आपके आने का
    सादर
    सुनीता शानू

    ReplyDelete
  16. बहुत ही बढ़िया लिखा है सर!


    सादर

    ReplyDelete
  17. बहुत बढ़िया...वाह!
    सादर...

    ReplyDelete
  18. bilkul sahi kaha aapne..bahut khub
    welcome to my blog :)

    ReplyDelete
  19. जीवन की सच्चाई को सुंदर शब्दों में प्रस्तुत किया है आपने । बधाई !

    ReplyDelete
  20. bilkul sahi likha hai aapne....aabhar

    ReplyDelete

आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता