Saturday, August 14, 2010

मेरे जीने का थोड़ा सा, सामान कर दिया...

उनकी नज़रों ने मुझे फिर से जवाँ कर दिया,
मुझे छू कर मुझ पर, एहसान कर दिया...

कब से बैठी थी मैं, गुमसुम सी यूँ ही,
दिल में मिरे, इक तूफान कर दिया...

मेरा अब कुछ भी रहा नहीं मेरा,
नाम उसके मैंने जिस्म-ओ-जान कर दिया...

उसकी आँखों ने कुछ ऐसे देखा,
हाल-ए-दिल उसको बयान कर दिया...

वादा जब से किया उसने मिलने का,
मेरे जीने का थोड़ा सा, सामान कर दिया...


मानव मेहता 

Thursday, August 12, 2010

अब आ भी जाओ ...........

""यूँ तेरा मुझसे रूठ कर जाना गवारा नहीं ,
कि इस दुनिया में कोई भी हमारा नहीं ...

तुम भी चले जाओगे तो कौन साथ देगा ,
तेरे सिवा कोई और हमें देगा सहारा नहीं ..

यूँ तो दीखते है कई लोग हमें महफ़िल में ,
पर इन नज़रों को तेरे सिवा कोई प्यारा नहीं ...

तोड़ लाऊं आसमान से तेरे गेसुओं में सजाने को ,
मगर तेरे काबिल इस आसमान में कोई सितारा नहीं ...

तमन्नाएं कुछ नयी करवटें ले रही है इस दिल में ,
अब आ भी जाओ कि तेरे बिना गुजरा नहीं ...""

Monday, August 02, 2010



"वो जो कहते हैं की पी कर गिरते हो तुम,
क्या बताएं उन्हें की पी कर ही सँभालते है हम...
ये जो देती है हमें दुनिया ताने सौ सौ,
उनसे बचने का ही कुछ एहतराम करते हैं हम..."


गिला करते नहीं उनसे किसी भी बात पर,
अफ़सोस रहेगा हर पल अपने हालत पर.........
वो चाहे पुकारे या ना पुकारे मेरे नाम को कभी,
बस चुके हैं वो लकीरों की तरह मेरे हाथ पर.........