Monday, November 29, 2010

एक दुआ दोस्त के नाम.....

तुझको इस ज़िन्दगी की हर चाहत नसीब हों,
हर कदम पर तेरे तुझे खुशियाँ नसीब हों....
चाँद तारे भी तुझे छूने की करे कोशिश,
तेरे क़दमों के नीचे, तुझे आसमान नसीब हों....


मुबारक हो तुझको, ये फूलों की रंगत,
गेसुओं को तेरे घटाएं नसीब हों.....
चेहरे पर चमके तेरे सूरज की किरनें,
हुस्न को बला की आदयें नसीब हों....


तेरा साया बन कर, तुझको हर ग़म से दूर रखूं,
मेरा साथ कुछ इस तरह से तेरे साथ नसीब हो....
और क्या दुआ मांगू, बस खुदा तुझे सलामत रखे,
मेरी इस उम्र की तुझको, हर सांस नसीब हो....


तुझको अपनी हर दुआ, हर आस नसीब हो,
मेरे प्यार की ना बुझने वाली, प्यास नसीब हो....

15 comments:

  1. जिसे ऐसा दोस्त और उसकी ये दुआ मिल गई उसे और किसी चीज की जरुरत नहीं रह जाती.............


    तुझको अपनी हर दुआ, हर आस नसीब हो,
    मेरे प्यार की ना बुझने वाली, प्यास नसीब हो....

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  2. बहुत बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती!

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  3. ईश्वर करे आप के मित्र के लिए की गयी आप की यह दुआ कुबूल हो.. कविता में भाव अच्छे हैं.

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  4. बहुत सुन्दर मन को छुं लेने वाली कविता !

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  5. बबली जी, अल्पना जी, सैल जी, मृदुला जी..
    आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया इस दुआ को पसंद करने के लिए............. :))

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  6. प्रेम की अनुभूतिपरक,किन्तु गहरी अभिव्यक्ति दुआ बनकर परिलक्षित हुई है !

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  7. http://urvija.parikalpnaa.com/2011/01/blog-post_07.html

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  8. bahot sunder dua maangi hai aapne.

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  9. NAMaSKAAR !
    aap ke blog pe pehli baar aana hua aur achcha laga ,
    saadar

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  10. कमाल का प्रभाव छोड़ा है !

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  11. सुन्दर दुआ...सुन्दर कविता...
    बधाई स्वीकारें !

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता