Sunday, July 11, 2010

खबर नहीं की खुदी क्या है, बेखुदी क्या है

खबर नहीं की खुदी क्या है, बेखुदी क्या है,
यहाँ तो आलम है की नहीं मालूम, की आदमी क्या है ?

चढ़ा रखे है यहाँ हर चहेरे में, सौ सौ नकाब,
उतार रखी है सभी शर्म-औ-हया; ये ज़िन्दगी क्या है ?

गर वफ़ा का वजूद है, अब भी दुनिया में कायम,
तो नज़र आती है जो जहाँ में, ये दुश्मनी क्या है ?

बह रहा है 'चश्म ऐ अश्क' ना जाने कब से मेरा,
फिर भी दिल में बसी, ये 'तिशनाकामी' क्या है ?

ये 'मुंसिफ' ये 'इमाम' है अपनी जगह दुरुस्त मगर,
हर बात पर मेरी उनकी, ये 'नुक्ता चीं' क्या है ?

हम दूर ही भले, इस दुनिया के 'रोज़गार' से अकेले,
डूब जाते गर मालूम होता; ये 'बहरे हस्ती' क्या है ?


['चश्म ऐ अश्क'- aansuon ka jharna]
['तिशनाकामी' - atyant pyass]
['नुक्ता चीं' - meen mekh nikalna]
['रोज़गार'- duniya-daari]
['बहरे हस्ती' -zindagi ka samundar]

8 comments:

  1. खबर नहीं की खुदी क्या है, बेखुदी क्या है,यहाँ तो आलम है की नहीं मालूम, की आदमी क्या है ?
    bilkul sahi likha hai aapne........satik vaktavya ke liye dhanyavaad.

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  2. बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही है अपने मानव जी, तकरीबन बा-वज़न और बा-बहर ! और आपके आशार कि रवानी भी काबिल-ए-तारीफ़ है ! हर एक शेअर एक दूसरे से बढ़ चढ़ कर है ! निम्नलिखित शेअर इस ग़ज़ल का हुस्न-ए-ग़ज़ल शेअर है !
    //बह रहा है 'चश्म ऐ अश्क' ना जाने कब से मेरा,
    फिर भी दिल में बसी, ये 'तिशनाकामी' क्या है ?//
    सिर्फ एक छोटी सी सलाह देना चाहूँगा, आपकी यह ग़ज़ल "- ई + क्या है" (- EE + KYA HAI) के रदीफ़ काफ़िये को लेकर चल रही है ! लेकिन पांचवें शेअर में शब्द 'नुक्ता चीं' आने कि वजह से यह सिलसिला थोडा गड़बड़ा गया है और रदीफ़ काफिया "- ईं + क्या है" ( - EEN +KYA HAI) हो गया है, ज़रा गौर फरमाईयेगा !

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  3. vवाह बेटा पहली बार देखा है तुम्हारा ब्लाग। अशार बहुत क़च्छे हैं बस योगराज जी का कमेन्ट पढ कर सुधार कर लें। बहुत अच्छा लिखते हो। बधाई और आशीर्वाद।

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  4. dhanywaad aap sabhi ka, jo meri rachna pasand ki........

    yograj ji...aapka kaha jarur manunga aur koshish karunga ise darust karne ki....aapne itna waqt diya meri rachna par iske liye shukriya...

    nirmla aunty aapka bahut dhanywaad ki aap mere blog par aaye......bahut shukriya..

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  5. bahut umda ghazal kahi hai aapne Manav jee.

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  6. शुक्रिया नीलम जी...............
    इस रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया....

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  7. बह रहा है 'चश्म ऐ अश्क' ना जाने कब से मेरा,फिर भी दिल में बसी, ये 'तिशनाकामी' क्या है ?
    बहुत सुन्दर...............

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  8. khabar nhi ki khudi kya hai bekhudi kya hi....ye to bs aap jaante hai ye sabhi kya hai?
    agr aadmi bhla iss jaha me aadmi na rahe...to vhala bolo ki wo aadmi kya hai?
    muft me to waise bhi milta nhi kuchh bhi..agr aese mile khushi to fir wo khushi kya hai....
    aaj kl mutthi me kaid ho gai hai hai sansen...agr aesi hai ye zindgi to fir ye zindgi kya hai?

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता