Sunday, December 20, 2009

तुमको चाहा है इक खुदा की तरह


"तुमको चाहा है इक खुदा की तरह,
'बड़ी मासूम हो दुआ की तरह..

'तुझे देखूं तो लगता है,
'जिस्म जैसे नूरे-खुदा की तरह...

'मुझसे रूठ कर जो जाओगे,
'ज़िन्दगी होगी इक सज़ा की तरह...

'बस तेरा नाम ही मेरा हांसिल है,
'रच गया है हाथों पे हिना की तरह...

'हमने देखा है वक़्त ऐसा भी,
'दोस्त हो जाते हैं बेवफा की तरह...

'जिधर भी जाऊं हर तरफ है वीरानी,
'सुना-सुना है दिल आसमाँ की तरह...


by:- manav mehta

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

    'जिधर भी जाऊं हर तरफ है वीरानी,
    'सूना-सूना है दिल आसमाँ की तरह...

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  2. सुंदर भावों और अल्फाजों से सजी रचना के लिये बधाई

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  3. bahut hi umda shaayree kar rahe ho bhai!bahut khoob!

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  4. मानव जी पूरी रचना दिल को छू गयी बहुत सुन्दर है बधाई

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  5. aap sabhi ka mera honsla bdhane ke liye dhanywaad...........

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  6. Main Aapki tarif mein kya kahu....sabd nahi hai mere pass.....aap sarvgun samparn to hai hi......acche insaan bhi hai....

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  7. bahut umda shayri karte ho.........
    aur kya kahun???????

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  8. bahut umda shayri karte ho.........
    aur kya kahun???????

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  9. बहुत सुन्दर मानव
    खासकर ये



    'बस तेरा नाम ही मेरा हांसिल है,
    'रच गया है हाथों पे हिना की तरह...

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आपकी टिपणी के लिए आपका अग्रिम धन्यवाद
मानव मेहता